
उसे मीठे पानी के झरने की आवाज सुनाई दे रही थी। उसने उसी दिशा में देखा जहां से झरने की आवाज आ रही थी। वहां दिलकश हरा एक गुनगुनी धूप में नहा रहा था। उस हरे के किसी लहरदार चुन्नी की तरह लहराने में हरे के पीछे छिपा एक गोल घंटी नुमा कोमल पीला किसी मुलायम रोशनी के धब्बे की तरह डोल रहा था। फुहारों की तरह उड़ती हवा में झरने की ठंडक थी। धीरे-धीरे धूप तीखी होती है और पीला झुलस जाता है। हरी शाख से भूरा झरने लगता है। वह सोचता है, आज की रात वह सबसे उदास पंक्तियां लिखेगा।वह स्वप्न की दुनिया से बाहर आ चुका था। उसके सामने प्रेम नहीं, प्रेम का बाजार है।वह लाखों ग्रीटिंग कार्ड में से कोई सबसे खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड चुनना चाहता था। सुबह से शाम तक वह ढूंढ़ता ही रहा। इतने सारे कार्ड्स, इतने सारे फूल, इतनी सारी खुशबुएं। उसे कुछ समझ नहीं आया। उसने सोचा, वह अपने हाथ से एक ग्रीटिंग कार्ड बनाएगा।अचानक उसकी नज़र चमचमाते कांच के पीछे एकदम ताजा-चमकीली चेरी पर गई। वह इतनी ताजा लग रही थी कि उसे मुंह में पानी आ गया। वह चेरी का स्वाद याद करने लगा और सोचने लगा, उसने आखिरी बार चेरी कब चखी थी।वह शो रूम में घुसा और चेरी की ओर हाथ बढ़ाया।वह देर तक एक फीकी हंसी हंसता रहा।उसके हाथ में जो पैकेट था, वह चेरी फ्लेवर कंडोम का था।पता नहीं उसे क्या सूझा, उसने एक सिंपल सा कार्ड खरीदा और पैकेट से एक कंडोम निकालकर कार्ड के अंदर चिपका दिया। जैसे विज्ञापन वाले अखबार और पत्रिकाओं में शैम्पू के पैकेट चिपकाते हैं।कंडोम चिपकाने के बाद उसने कार्ड पर लिखा - टु पारो, फ्राम देव. डी!
अविनाश के मुहल्ले से साभार
Mahan Prabhu Shri Shri Ram Ji Kumar ke Mukh se nikli hui vadi ko pranam...........
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