Pages

पधारने का शुक्रिया: Thank you for your visit

Friday, May 15, 2009

आज मैं खुश हूं।

एंड्र्यू बिचेल हम हिंदुस्तानियों के लिए आईना लाया है। दो दिनों से IPL में हंगामा सा चल रहा है। कोलकाता की टीम के एक खिलाड़ी, संभवतः अजित अगरकर, ने एक कोचिंग स्टाफ पर आरोप लगाया है की उन्होंने उसे "Hey you Indian! Do what you are told to do" कह के संबोधित किया। इंटरनेट और ब्लॉग पर जैसे आंधी आ गयी हो। पर मैं खुश हूं। नहीं, आह्लादित ज्यादा उचित शब्द होगा। अंधराष्ट्रवादी अभी तक गालियां दे चुके होंगे। मैं ऐसा क्यूं कह रहा हूं, इसके लिए कारण भी ढूंढ चुके होंगे। दिमाग़ लगाने की ज़रुरत नहीं। मैं खुद ही बताता हूं। मैं खुश हूं क्यूं कि मैं 'बिहारी' हूं। 10 साल पहले अपने coaching से बाहर निकलते ही बस स्टैंड पर मुझे इसका एहसास हुआ था। ब्लू लाइन बस के एक जाट कंडक्टर ने मेरी पहचान एक झटके में बदल दी थी। पहली बार बुरा नहीं लगा। जान ही नहीं पाया कि कहने के पीछे क्या मक़सद था। अभी 12th पास करके आया ही था। फिर तो ये सिलसिला ही हो गया। किसी कुत्ते को सड़क पार करते देख, ए! बिहारी - रिक्शेवाले से साइड लेते हुए, ए! बिहारी - बहुत बुरा लगता था। पर आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि ये बिहारी, जो जाट कंडक्टर कि बात पर भड़कते थे, अपने गांव में, ए! सुदरवा, ए! गुअरवा, ए! चम...वा बोल के प्रफुल्लित होते थे। रिक्शेवाले को दुःख नहीं होता। पटना से दिल्ली तक का सफ़र, ए! सुदरवा से ए! बिहारी तक का सफ़र है।

आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि गुज़रे साल दिल्ली में आयोजित Afro-India शिखर सम्मलेन में पश्चिमी अफ्रीका के एक राजदूत को एक संभ्रांत दिखने वाले हिंदुस्तानी कैमरामैन ने, ए! कलुवे हट... कहा था। पश्चिमी मुल्कों से कहीं ज्यादा यहां जिल्लत झेलनी पड़ती है। कैमरामैन ने उस दिन टोकने पर मुझे आंखें दिखाई थीं। आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि चार साल पहले पूर्वी उत्तरप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले एक इंस्‍पेक्टर ने नोएडा में मेरे ऑटो चालक को, ए! दुसधवा बोला था। उसकी ग़लती ये थी कि वो रात के 11 बजे मुझे और मेरे दो मित्रों को सिनेमा हॉल से घर ला रहा था। इंस्‍पेक्टर संभ्रांत हिंदू कॉलेज का पूर्व छात्र था। ऑटो वाले को दो थप्पड़ जड़ के 300 रूपये छीन लिये थे।

आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि अगरकर के राज्य के लोग ‘भाइयों’ को मारने में आनंदित होते हैं। अगरकर जिम्मेदार नहीं हैं। पर अगरकर उपमा हैं। आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि जब वरुण गाँधी ने मुसलमानों को ‘कटुआ’ कहा था,लोग खी खी हंस रहे थे। ‘क्या गलत बोला वरुण ने’ कहते हुए पान थूक रहे थे। आज मैं खुश हूं। मैं खुश हूं क्यूंकि देश कि सबसे संभ्रांत कहे जाने वाली कौम, बंगाली, हर दूसरे कौम को एक विशेष नाम से बुलाती है। बिहारी को ए! खोट्टा, मारवाड़ी को ए! माडू, उरिया को साला उडे! बुलाते सकुचाते नहीं हैं। देश की सबसे संभ्रांत कौम देश की वाहिद कौम भी है, जिसने एक अलग नस्ल की उत्पत्ति की है: अबंगाली!

पर आज मैं खुश हूं। बिचेल हों या मूट हों, उनको माल्यार्पण करना चाहिए। कोलकाता के K C Das का मशहूर सोंदेश खिलाना चाहिए। बिचेल आईना लाये हें। उसे विक्टोरिया मेमोरियल पे लगाइए। उसे गोलघर पे लगाइए। उसे मरीन ड्राइव पे लगाइए। उसे पीलीभीत ले जाइए...

9 comments:

  1. bahut achha
    wish you all the very best

    ReplyDelete
  2. बहुत सही कहा आपने...मै एक घटना के बारे में बता रहा जो कि मैने पढ़ी थी..एक बार एक अंग्रेज भारत आया उसने वापस जाकर अपने हिंदुस्तानी दोस्त से बात की...उसके हिंदुस्तानी दोस्त ने पूछा की कैसा लगा भारत... उसने कहा कि अच्छा लगा बहुंत सुंदर जगह है...फिर उसने पूछा कि और वहां भारतीय लोग...उसने आश्चर्य से पूछा कि कौन भारतीय...उसका हिंदुस्तानी दोस्त ने कहा कि मेरा मतलब भारत के लोग...विदेशी दोस्त बोला मै तो किसी भारतीय से नहीं मिला...जब में पंजाब गया तो वहां मुझे पंजाबी मिले...बंगाल गया तो बंगाली मिले...तमिलनाडू गया तो तमिल लोग मिले...मुंबई गया तो मराठी मिले...बिहार गया तो बिहारी मिले..लेकिन सारी जगह गया एक भी जगह भी मुझे कोई
    भारतीय नहीं मिला ...

    इस जवाब को सुनकर जो ख़याल आपके दिमाग में आया वही ख्याल उस विदेशी के भारतीय दोस्त के दिमाग में आया और फिर उसने सोचा कि कहां है मेरे भारत में मेरे भारतीय लोग....

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।

    ReplyDelete
  5. आपकी पोस्ट बहूत कुछ सोचने को मजबूर करती है............
    हलके फुल्के बात को रखने का व्यंगात्मक अंदाज बहूत भाया......सचमुच पहले हम को ओपना घर सुधारना होगा इस बात के लिए

    ReplyDelete
  6. मान्यवर, हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. आशा है कि हिंदी में ब्लॉगिंग का आपका अनुभव रचनात्मकता से भरपूर हो.

    कृपया मेरा प्रेरक कथाओं और संस्मरणों का ब्लौग देखें - http://hindizen.com

    आपका, निशांत मिश्र

    ReplyDelete
  7. हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
    इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
    www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर

    ReplyDelete