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Sunday, June 13, 2010

रात्रि प्रहर

दिन के ढलने के बाद,
साँझ की बेला आती है,
फिर वो रात में तब्दील हो जाती है...
रात क्या है, एक दिन का अंत,
या नए दिन के शुरुआत की आहट,
यह तो है
नए संभावनाओ के जन्म का सूचक,

रात्रि प्रहर आती है,
अपने साथ विश्राम का सन्देश लाती है
नयी आशाओ के द्वार खोलते हुए,
निद्रा में ले जाती है…..
भूतकाल के सफलताओ और असफलताओ से परे
प्रगति का मार्ग सुझाती है......

आसमान में चमकते तारे चंदा मामा को मार्ग दिखाते है
कई और ग्रह के वासी धरती पर घुमने को आते है
इस धरती की खूबसूरती और छटा देख कर
यहाँ रहने को ललचाते है..
टूटते तारो को देखकर भाग्य का लेखा लगते है
तो चाँद के बदलते स्वरुप से प्रकृति
अपने रंग दिखाती है

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