चप्पे चप्पे पर
गुप्त यांत्रिक
आँखे जड़ने की
परन्तु मजबूरी है
राजा की
हर पल सालता रहता
है
खौफ़ बेदखली का
संदेह सत्ता-परिवर्तन
का
लगा रहता है खटका
चुप, चालाकी या
छल से
राजमहल में घुसकर
कोई
बैठ न जाये तख्ते
ताउस पर
तन्हाई में अक्सर
सोचता है राजा
सुख-सागर में
होते है चिंता – भंवर
राजमहल में भी
दाखिल हो जाता है
अंग रक्षक की तरह
‘खौफ़’
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